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क्या है Microsoft की माइक्रोफ्लुइडिक कूलिंग टेक्नोलॉजी? जो चिप्स को ठंडा रखने में करेंगी मदद

Microsoft अपने AI डेटा सेंटर्स में चिप्स को ठंडा रखने के लिए नई टेक्नोलॉजी ला रहा है, जिसका नाम है माइक्रोफ्लुइडिक कूलिंग टेक्नोलॉजी। आइए जानते हैं ये क्या है और कैसे काम करती है...

Edited By: Ashutosh Ojha | Published By: Ashutosh Ojha | Published: Sep 25, 2025, 04:14 PM (IST)

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Microsoft अब अपने AI डेटा सेंटर्स में चिप्स को ठंडा रखने के लिए माइक्रोफ्लुइडिक कूलिंग टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है। AI की मांग तेजी से बढ़ रही है और डेटा सेंटर्स को प्रोसेसर और GPU को ठंडा रखते हुए उनकी परफॉर्मेंस बनाए रखना मुश्किल हो गया है। पुराने लिक्विड कूलिंग सिस्टम सिर्फ चिप्स की सतह को ठंडा करते हैं, लेकिन माइक्रोफ्लुइडिक टेक्नोलॉजी तरल को चिप के अंदर छोटे-छोटे चैनलों के जरिए सीधे हॉटस्पॉट्स तक पहुंचाती है। इससे चिप्स का तापमान लगभग 70°C तक रखा जा सकता है और वे लंबे समय तक अच्छा परफॉर्मेंस कर सकती हैं। Microsoft ने इस टेक्नोलॉजी का Redmond में प्रोटोटाइप टेस्ट किया है और यह पुराने तरीकों से बेहतर काम करती दिखी।

माइक्रोफ्लुइडिक कूलिंग से डेटा सेंटर कैसे बदलेंगे?

माइक्रोफ्लुइडिक कूलिंग टेक्नोलॉजी नए डिजाइन के रास्ते भी खोलती है। चिप्स को अच्छे तरीके से ठंडा करने से उन्हें ऊपर-नीचे स्टैक किया जा सकता है, जिससे डेटा सेंटर्स में पावर डेंसिटी बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि कम जगह में ज्यादा परफॉर्मेंस मिल सकती है। इसके अलावा जब अचानक ज्यादा मांग होती है, जैसे लाखों लोग एक साथ Teams कॉल में जुड़ते हैं, तो माइक्रोफ्लुइडिक कूलिंग से चिप्स को सुरक्षित तरीके से ओवरक्लॉक किया जा सकता है।

Microsoft के बाकी हार्डवेयर इनोवेशन क्या हैं?

Microsoft सिर्फ कूलिंग में ही नहीं, बल्कि हार्डवेयर के दूसरे हिस्सों में भी नई टेक्नोलॉजी ला रहा है। कंपनी होलो-कोर फाइबर नेटवर्किंग और हाई-बैंडविड्थ मेमोरी (HBM) जैसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही है, जो AI ट्रेनिंग और इन्फरेंस को तेज कर सकती हैं। पिछले एक साल में ही Microsoft के डेटा सेंटर्स की क्षमता 2 गीगावॉट से ज्यादा बढ़ गई है। जैसे-जैसे AI वर्कलोड बढ़ रहा है, एनर्जी की खपत का असर पर्यावरण और खर्च दोनों पर पड़ रहा है। माइक्रोफ्लुइडिक कूलिंग से एनर्जी बचती है और चिप की परफॉर्मेंस भी बेहतर होती है।

यह टेक्नोलॉजी AI डेटा सेंटर्स के भविष्य को कैसे प्रभावित करेगी?

यह कदम दिखाता है कि पूरी इंडस्ट्री में AI हार्डवेयर के लिए नई चुनौतियां बढ़ रही हैं, जैसे-जैसे AI सिस्टम ज्यादा ताकतवर होते जा रहे हैं, पुराने कूलिंग तरीके अब पूरी तरह काम नहीं कर पा रहे हैं। Meta और Google जैसी कंपनियां भी नई कूलिंग टेक्नोलॉजी आजमा रही हैं, लेकिन Microsoft का माइक्रोफ्लुइडिक कूलिंग में निवेश यह बताता है कि इसे Azure डेटा सेंटर्स में बड़ा बदलाव लाने वाला माना जा रहा है। अगर यह सफल हो जाता है, तो यह टेक्नोलॉजी अगली पीढ़ी के AI डेटा सेंटर्स बनाने में मदद करेगी।