Published By: Harshit Harsh | Published: Jan 11, 2023, 12:57 PM (IST)
Meta, Google, Apple पर पिछले दिनों कई देशों में एडवर्टिजमेंट टारगेट करने के लिए करोड़ों रुपये का जुर्माना लगाया गया है। Facebook और Instagram की पैरेंट कंपनी ने मंगलवार 10 जनवरी को घोषणा किया है कि अब मेटा के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर टीनएजर्स को जेंडर के आधार पर ऐड टारगेट नहीं किया जाएगा। जेंडर के आधार पर टारगेट किए जाने वाले ऐड्स युवाओं के लिए हानिकारक हैं। और पढें: दीपिका पादुकोण की आवाज में Meta AI करेगा बात, अब स्मार्ट ग्लासेस से ही होगा UPI पेमेंट
Meta ने घोषणा किया है कि कंपनी ने एडवर्टिजमेंट कंपनियों से कहा है कि अगले महीने यानी फरवरी 2023 से जेंडर के आधार पर टीनएजर्स को ऐड टारगेट नहीं किया जाएगा। एडवर्टाइजर्स टीनएजर्स को केवल यूजर्स की उम्र और लोकेशन के आधार पर ऐड टारगेट कर सकेंगे। मेटा का यह नियम सभी देशों के एडवर्टाइजर्स पर लागू होगा। और पढें: Facebook पर दोबारा लौटा LinkedIn वाला फीचर, घर बैठे मिलेगी नौकरी
इसके अलावा कंपनी ने यह भी बताया कि पहले से चले आ रहे मेटा के ऐप्स पर इस तरह के टारगेट वाले ऐड्स को बंद किया जाएगा। अब एडवर्टाइजर्स को केवल यूजर की उम्र और लोकेशन की जानकारी दी जाएगी। अपने ब्लॉग पोस्ट में Meta ने बताया कि हमने पाया है कि टीनएजर्स किसी व्यस्क यूजर्स की तरह एडवर्टिजमेंट्स पर अपना डिसीजन नहीं ले पाते हैं। उन्हें नहीं पता चलता है कि किस तरह से उनके डेटा का इस्तेमाल ऐडवर्टाइजर्स एड टारगेट करने के लिए करते हैं। हालांकि, इससे मेटा को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है, क्योंकि एडवर्टाइजर्स के जरिए कंपनी को बड़ी मात्रा में रेवेन्यू मिलता है। और पढें: Instagram यूजर्स के लिए खुशखबरी, अब अपनी भाषा में देख सकेंगे Reels
बता दें कि Facebook की पैरेंट कंपनी Meta को कई देशों में टारगेटेड एडवर्टिजमेंट्स के लिए भारी जुर्माना देना पड़ा है, जिसकी वजह से कंपनी पर पॉलिसी में बदलाव करने का दबाब था। कई कानूनी लड़ाईयों के बावजूद कंपनी को पिछले दिनों यूरोप में 390 मिलियन यूरो यानी 3,400 करोड़ रुपये का जुर्माना लगा था। कंपनी पर यूजर के निजी डेटा का गलत तरीके से इस्तेमाल करके ऐड टारगेट करने के कई आरोप लगे हैं।
Facebook ही नहीं Google और Apple पर भी कई देशों में टारगेटेड एडवर्टिजमेंट्स के लिए जुर्माना लगाया जा चुका है। Meta समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की अमेरिका में लोकल ऑथोरिटी द्वारा कई बार स्क्रूटनी की जाती है, जिसकी वजह से इन कंपनियों को अपनी पॉलिसी में बदलाव करने का दबाब है।