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चीनी कंपनी Huawei के इस लैपटॉप ने उड़ाई अमेरिका की नींदे! लेकिन US बैन का दिखा असर

Huawei का नया फोल्डेबल लैपटॉप सिर्फ एक गैजेट नहीं, बल्कि अमेरिका और चीन के बीच चल रही टेक्नोलॉजी जंग का ताजा एग्जांपल बन गया है। इस लैपटॉप ने जहां चीन की आत्मनिर्भरता दिखाई, वहीं अमेरिका की सख्त पाबंदियों का असर भी साफ-साफ नजर आया।

Published By: Ashutosh Ojha

Published: Jun 26, 2025, 12:56 PM IST

Huawei MateBook Fold
Huawei MateBook Fold

Huawei का नया फोल्डेबल लैपटॉप MateBook Fold सिर्फ एक प्रोडक्ट नहीं, बल्कि एक बड़ा संदेश है। अमेरिका की सख्त पाबंदियों के बावजूद, चीन की यह कंपनी टेक्नोलॉजी की दुनिया में टिके रहने की पूरी कोशिश कर रही है। Huawei ने एक ऐसा लैपटॉप लॉन्च किया है जिसमें न कोई विदेशी चिप है और न ही किसी दूसरे देश के इक्विपमेंट। लेकिन क्या यह आत्मनिर्भरता सच में सफलता है या सिर्फ मजबूरी में उठाया गया कदम? यह लैपटॉप अमेरिका-चीन टेक वॉर का नया चैप्टर बनता जा रहा है। आइए जानते हैं पूरी कहानी।

चीन का MateBook Fold

Huawei ने मई 2025 में अपना नया फोल्डेबल लैपटॉप MateBook Fold लॉन्च किया है। यह एक ऐसा डिवाइस है जो लैपटॉप और टैबलेट दोनों की तरह काम करता है। इसमें जो चिप इस्तेमाल हुआ है, वह 7 नैनोमीटर टेक्नोलॉजी पर आधारित है और उसे चीन की चिप बनाने वाली कंपनी SMIC (Semiconductor Manufacturing International Corp.) ने बनाया है। खास बात यह है कि यह चिप SMIC ने बिना किसी आधुनिक विदेशी मशीनों के बनाया है, जो दिखाता है कि चीन अब टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहा है। लेकिन यह भी सच्चाई है कि यह टेक्नोलॉजी कई साल पुरानी है और अमेरिका की पाबंदियां चीन को नई और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ने से रोक रहे हैं।

अमेरिका की सख्त पाबंदियां और उनका असर

पिछले कुछ सालों में अमेरिका ने चीन पर कई तरह की पाबंदियां लगाई हैं। जैसे कि यूरोप की एक बड़ी कंपनी ASML को कह दिया गया है कि वह चीन को चिप बनाने की सबसे नई एडवांस्ड मशीनें न बेचे। इसी वजह से चीन की कंपनी SMIC अब भी 5 नैनोमीटर या उससे बेहतर चिप नहीं बना पाई है। जबकि दूसरी तरफ ताइवान की कंपनी TSMC इस साल के आखिर तक 2 नैनोमीटर की चिप बनाना शुरू कर देगी, जो SMIC से काफी आगे है। इससे साफ है कि अमेरिका की सख्ती की वजह से चीन का टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ना धीरे हो गया है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जंग

अमेरिका सिर्फ चिप बनाने में ही नहीं, बल्कि AI के क्षेत्र में भी चीन को रोकना चाहता है। अमेरिका की सरकार ने Nvidia जैसी कंपनियों को आदेश दिया है कि वे चीन को अपने हाई-एंड AI चिप्स न बेचें। वजह है अमेरिका की यह चिंता कि कहीं चीन AI में अमेरिका से आगे न निकल जाए। इसी साल चीन की AI कंपनी DeepSeek की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता ने अमेरिका की टेक कंपनियों में चिंता पैदा कर दी है। अमेरिका ने यह भी दावा किया है कि Huawei अपने Ascend AI चिप्स की साल 2025 में केवल 2 लाख यूनिट ही बना पाएगा क्योंकि बाकी जरूरी सामान उस तक नहीं पहुंच रहा है।

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Huawei की जिद

Huawei के संस्थापक Ren Zhengfei ने कहा है कि उनकी कंपनी अमेरिका की पाबंदियों से डरती नहीं है। उन्होंने बताया कि Huawei अब एक नई टेक्नोलॉजी “चिप स्टैकिंग” पर काम कर रही है। इस टेक्नोलॉजी में पुराने चिप्स को एक के ऊपर एक जोड़कर अच्छा परफॉर्मेंस हासिल किया जा सकता है। लेकिन टेक एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह तरीका सिर्फ थोड़े समय के लिए काम आएगा। फिलहाल चीन को उम्मीद है कि Huawei और SMIC जैसी कंपनियां देश को टेक्नोलॉडी के क्षेत्र में आगे ले जाएंगी। लेकिन अमेरिका की सख्त पाबंदियां चीन के लिए आगे बढ़ना बहुत मुश्किल बना रही हैं। Huawei का नया MateBook Fold भले ही चीन की आत्मनिर्भरता की ओर इशारा करता हो, लेकिन यह भी दिखाता है कि अमेरिका की पाबंदियां चीन को अब भी बहुत पीछे रखे हुए है।

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Author Name | Ashutosh Ojha

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