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क्या है ये Threema App? दिल्ली के लाल किला ब्लास्ट में इसी का किया गया इस्तेमाल

एक ऐसा मैसेजिंग ऐप है, जो बिना मोबाइल नंबर या ईमेल के चलता है और इतनी सीक्रेट चैटिंग की सुविधा देता है कि पुलिस भी पकड़ नहीं पाती? आखिर क्या है यह Threema ऐप और दिल्ली के लाल किला धमाके की साजिश में इसे कैसे इस्तेमाल किया गया? आइए जानते हैं...

Published By: Ashutosh Ojha | Published: Nov 15, 2025, 02:45 PM (IST)

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दिल्ली के लाल किले के पास हुए घातक कार धमाके ने पूरे देश को हिला दिया था। अब इस मामले की जांच एक खतरनाक डिजिटल मोड़ पर पहुंच गई है। पुलिस ने पाया है कि इस साजिश से जुड़े तीन डॉक्टर उमर उन नबी, मुझम्मिल गनई और शाहीन शाहिद आपस में एक स्विस मैसेजिंग ऐप ‘Threema’ (थ्रीमा) के जरिए संपर्क में थे। तीनों आरोपी फरीदाबाद की अल-फला यूनिवर्सिटी से जुड़े बताए जा रहे हैं। अधिकारियों के अनुसार, Threema की गुमनामी और इसकी मजबूत एन्क्रिप्शन ट्रक्नोलॉजी ने इन्हें सुरक्षा एजेंसियों की निगरानी से बचने में मदद की। ऐप का इस्तेमाल कर ये लोग लगातार लोकेशन, प्लान और निर्देशों का आदान-प्रदान करते रहे।

Threema ऐप कैसे बना साजिश का छुपा अड्डा

जांच एजेंसियों की मानें तो आरोपियों ने Threema के अंदर एक प्राइवेट सर्वर (private server) भी तैयार कर लिया था, जहां वे फाइलें, नक्शे और जरूरी दस्तावेज सुरक्षित और गुप्त तरीके से भेजते थे। Threema की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें अकाउंट बनाने के लिए न तो मोबाइल नंबर चाहिए, न Email ID। ऐप एक रैंडम ID बनाता है जो यूजर की पहचान होती है। यही वजह है कि ये आरोपी लंबे समय तक पकड़ से बाहर रहे। इसके अलावा थ्रीमा चैट को दोनों तरफ से स्थायी रूप से मिटाने की अनुमति देता है, जिससे बातचीत का कोई रिकॉर्ड नहीं बचता। यही कारण है कि फॉरेंसिक टीमें संदिग्धों की चैट हिस्ट्री इकट्ठा करने में बेहद मुश्किल का सामना कर रही हैं।

आखिर भारत ने Threema App को क्यों किया बैन?

Threema भारत में मई 2023 से बैन है। सरकार ने IT Act की धारा 69A के तहत कई विदेशी मैसेजिंग ऐप्स को ब्लॉक किया था क्योंकि इनका इस्तेमाल पाकिस्तान-आधारित संगठनों द्वारा प्रचार फैलाने और भारत में ऑपरेटिव्स से संपर्क करने के लिए किया जा रहा था। Threema के साथ ही Zangi, Briar, Safeswiss, BChat, Element जैसे कई ऐप भी प्रतिबंधित किए गए थे। सभी में कॉमन बात थी, इनका मजबूत एन्क्रिप्शन सिस्टम और मॉनिटरिंग से बचने की क्षमता। सरकार को आशंका है कि आरोपियों ने VPN के जरिए लोकेशन छिपाकर Threema को भारत में चलाया या फिर विदेश यात्राओं जैसे तुर्की और UAE के दौरान इसे एक्टिव रूप से इस्तेमाल किया। ऐप का बिटकॉइन या नकद भुगतान मॉडल भी ट्रांजैक्शन ट्रेसिंग को बेहद मुश्किल बना देता है।

जांच एजेंसियों के सामने नई चुनौतियां

फिलहाल एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि निजी Threema सर्वर भारत में बनाया गया था या विदेश में। शुरुआती जांच से संकेत मिलता है कि इस नेटवर्क का इस्तेमाल सीक्रेट मैसेज, कोडेड निर्देश और संवेदनशील दस्तावेज शेयर करने के लिए किया गया था। पुलिस के हाथ ऐसे डिजिटल सुराग कम हैं क्योंकि Threema metadata भी स्टोर नहीं करता। ये मामला जांच टीमों के लिए काफी मुश्किल बन गया है। धमाके की साजिश कैसे बनाई गई, इसे समझने के लिए पुलिस जब्त किए गए मोबाइल और लैपटॉप को ध्यान से चेक कर रही है। आजकल का आतंकवाद टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर पहले से भी ज्यादा खतरनाक हो गया है। Threema जैसे ऐप असल में लोगों की प्राइवेसी बचाने के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन अब इन्हीं ऐप का इस्तेमाल बुरी और खतरनाक योजनाएं छुपाने के लिए भी किया जाने लगा है।